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तिरंगा फहराना बेशक देशभक्ति है लेकिन गिरे तिरंगे को उठाना उससे भी बड़ी देशभक्ति है(Tiranga fahrana beshak deshbhakti hai lekin gire huwe tirange ko uthana usase bhi badi desh bhakti hai



आज भारतीय और सम्पूर्ण भारतीय गणराज्य अपना 76 स्वतंत्रता दिवस मना रहा है।हम सभी स्वतंत्रता के अमृतकाल के साक्षी बन रहे हैं।इसके लिए हम सभी लाखों बलिदानी हुतात्माओं ,स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों,सैनिकों के ऋणी हैं।
भारत का इतिहास निरंतर संघर्षो का रहा है। भारतीयों ने बाह्य आक्रमणकारियों से सतत संघर्ष किया है लेकिन मैकाले की शिक्षा पद्धति ने हमें यही पढ़ाया है कि भारत 800 मुगलों और 350 वर्षो तक अंग्रजो का गुलाम रहा है इतिहास साक्षी है कि जब अंग्रेज सन 1600 में भारत आए तो उस समय मात्र 4 छोटे-छोटे रजवाड़ो तक मुगल सीमित रह गए थे।फिर हमें आज तक यह विकृत इतिहास क्यो पढ़ाया जा रहा है?
भारत के संघर्ष गाथा में लाखों/करोड़ो कहानियों और उसके नायक/नायिकाएं और खलनायक हैं। शिवाजी, महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं और चाणक्य जैसे शिक्षकों के स्थान पर देश के खलनायकों का महिमामंडन मैकाले और वामपंथी शिक्षाविदों द्वारा दूषित शिक्षा की नीति,पाठ्यक्रम और पद्धति की देन है।
एक अधनंगे फकीर(पूज्य गाँधी जी) के एक आह्वाहन पर लाखों करोडों जनमानस पीछे- पीछे चल पडा वही दूसरी तरफ भगत सिंह,चंद्रशेखर आज़ाद,राजगुरु सुखदेव,विस्मिल की सहादत ने भावी पीढ़ियों के मन मस्तिष्क में संघर्षो का दीप प्रज्जलित करने का कार्य किया।
माँ भारती के महान सपूत सुभाष चंद्र बोस एक ऐसा संघर्ष शुरू करते हैं जो अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश कर देता है(कुछ वर्ष पूर्व इंग्लैंड में हुए एक सर्वे में वहाँ की जनता ने यह स्वीकार किया है कि इंग्लैंड ने इतिहास में अभी तक हज़ारों लड़ाईया लड़ी है उसमें सबसे कठिन लड़ाई सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद सेना के साथ लड़ी है)।
भारत की संघर्ष गाथा में लाखों ज्ञात और अज्ञात कहानियां है।
ऐसी ही कहानी है। बात उन दिनों की है जब सुभाष चंद्र बोस जी आज़ाद हिंद सेना का गठन कर रहे थे। भारत में नौजवानों की भर्ती की जिम्मेदारी कैप्टेन ढिल्लो जी को दी गई थी। एक बैच की शारीरिक दक्षता का परीक्षण सफलता पूर्वक पूर्ण करने वालों युवकों से बारी बारी व्यक्तिगत और पारिवारिक जानकारी ले रहे थे।ऐसे ही पक्ति में खड़े एक प्रशन्नचित युवक से उसकी पारिवारिक पृष्टभूमि की जानकारी ले रहे थे। युवक ने बताया कि मैं पंजाब(अब हरियाणा) से हूँ खेती बारी का काम करता हूँ पिता जी गुजर गए हैं घर में माँ है।कैप्टेन ढिल्लो ने कहा कि आपकी देश भक्ति और क्षमता पर मुझे तनिक भी शक नही है लेकिन नेता जी का आदेश है कि माता-पिता की इकलौती संतानों को सेना में न लिया जाए। आप जाए अपने खेत और माँ की सेवा करें।इतना सुनते ही उस युवक की आंखों की चमक और चेहरे की खुशी अदृश्य हो गई।घर पहुँचते ही माँ ने युवक से बोला आप सुभाष बाबू की सहायता करने के लिए आज़ाद हिंद सेना में भर्ती होने गए थे ?आप इतनी जल्दी क्यो आ गए?युवक ने माँ को पूरी बात बताई। मां ने कहा की आप अपना मन छोटा न करें आप दुःखी न हों। आप 2 दिन बाद आज़ाद हिंद सेना में अवश्य भर्ती होंगे। तीसरे दिन युवाओं की कतार में उसी युवक को पुनः सामने पाकर कैप्टेन ढिल्लो ने कर्कश आवाज में युवक से बोले कि तुम फिर आ गए 2 दिन पहले ही तो मैंने बताया था कि दिशानिर्देश के अनुसार हम आपकी भर्ती नही कर सकते।युवक ने पूरी बात बताई कहा कि मेरी माँ ने कुए में कूदकर अपनी जान दे दीं है।मेरी मां ने मुझसे कहा था कि यह मेरे लिए शर्म की बात है कि मेरे कारण आप सेना में भर्ती नही हो सके और नेता जी के सहयोगी बनकर देश की स्वतंत्रता में अपना योगदान नही दे पाए। कैप्टेन ढिल्लों जी ने उस युवक को सेना में भर्ती कर लिया । निरीक्षण पर आए सुभाष बाबू को जब इस बात की जानकारी हुई तो उस युवक से व्यक्तिगत मिले और कहा कि स्वतंत्रता के लिए आखिरी सांस तक दुश्मन से लड़ते हुए फ्रंट पर गुजारनी,मर भी जाए तो पीछे नही हटना है।
उस युवक ने राइफल की आखिरी गोली और आखिरी सांस तक लड़ाई की। उस युवक के शहादत की खबर जब नेता जी को हुई तो स्वयं श्रद्धांजलि देने पहुँचे और एक छोटा सा स्मारक बनवाया और लिखवाया “मौत से खेलने वाले माँ-बेटे दोनों को मेरा सलाम”। उस युवक का नाम था अर्जुन सिंह।
आज़ाद हिंद सेना के गठन के दौरान नेता जी अपने भाषणों में युवाओं से कहते थे कि मैं आपको भर पेट भोजन भी दे पाऊंगा कि नही।इस बात की कोई गारेंटी नही है।जो समाज से सहयोग मिल रहा है उस धन से सबसे पहले हथियार खरीदा जाएगा,उससे धन बचने पर ही आपके भोजन का प्रबंध किया जायेगा उसके बाद आपके पैरों के लिए जूते और यूनिफार्म खरीदा जाएगा उसके बाद अगर धन बचा तो आपको वेतन दे पाऊँगा।इतिहास साक्षी है कि आज़ाद हिंद सेना के सैनिकों ने भूखे और नंगे पांव रहकर कई मोर्चे की लड़ाईया जीती।
आज के युवा जो सेना भर्ती में हो रहे अग्निवीर योजना के विरोध के नाम पर हजारों करोड़ की सरकारी संपत्ति को धू-धू कर जला देने वाले क्या स्वयं से प्रश्न पूछ सकते है?कि आज़ाद हिंद फौज में भर्ती के समय यदि वे स्वयं होते तो क्या करते? क्या मजहबी उन्मादी जो एक बयान के बदले सर तन से जुदा करने वाले और उसका नारे लगाने वाले वीर शहीद अशफाक उल्ला खां के कोर्ट में दिए गए बयान जिसमे उन्होंने कहा था कि ‘मेरा मजहब पुनर्जन्म की इजाजत नही देता लेकिन अल्ला ताला यदि मुझे अता फरमाएं तो इस मातृभूमि पर बार-बार जन्म लेकर देश की आज़ादी के लिए बार-बार मरना मिटना चाहूँगा।
क्या स्वयं से प्रश्न पूछ सकते हैं यदि मैं असफाक उल्ला खां के जगह पर होता तो क्या करता?
मैं स्वयं से प्रश्न पूछता हूँ आप भी स्वयं से प्रश्न पूछिए 1947 के पहले मेरा जन्म होता तो क्या करता ? और आज क्या कर रहा हूँ?
आज हम स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं।यह समय देश के लिए मरने मिटने का नही है ।यह देश के लिए जीने और कुछ करने का समय का समय है।
आने वाला समय बहुत कठिन है विदेशी और देश के अन्दर की देश विरोधी ताकते सदियों से इस देश को तहस नहस करने का षडयंत्र रच रही हैं।संस्कार और अनुशासन ही भारत माता को पुनः विश्व गुरु के पद आसीन कर सकते हैं।
आज पूरा देश ,देशभक्ति के रस में डूबा है चारों तरफ तिरंगा ही तिरंगा दिख रहा है।तिरंगा को सिर्फ फहरा भर देने से देश भक्ति सिद्ध नही होगी। राह चलते अगर गिरा,कटा,फटा हुआ तिरंगा दिखे तो उसे उठाकर उचित स्थान पर रखें या जमीन में गड्ढा करके दबा दें ।इसी निवेदन के साथ आप सभी को स्वतंत्रता दिवस और अमृत काल की अनंत मंगलकामनाएं।

3 thoughts on “तिरंगा फहराना बेशक देशभक्ति है लेकिन गिरे तिरंगे को उठाना उससे भी बड़ी देशभक्ति है(Tiranga fahrana beshak deshbhakti hai lekin gire huwe tirange ko uthana usase bhi badi desh bhakti hai

  • Sagar kumar jaiswal

    बिलकुल सही मैं तो अपने देश के सभी युवा साथियों से आग्रह करता हु की आप सभी इस बात का ध्यान दे की कल सुबह से कोई भी झंडा इधर उधर न मिले

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  • Sujeet Yadav

    जय हिंद
    शानदार प्रस्तुति

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  • Abhinash sharma

    🇮🇳Jai Hind 🇮🇳

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