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भारत की अनाथ लड़की की ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के कैप्टन तक की यात्रा (LISA STHALEKAR)

LISA STHALEKAR
LISA STHALEKAR

महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक अनाथालय है, जिसका नाम है ‘श्रीवास्तव अनाथालय’ दिनाँक 13 अगस्त 1979 को शहर के एक अनजान कोने में एक लड़की का जन्म हुआ, माता-पिता ने सुबह-सुबह इस अनाथालय के पालने में अपने जिगर का एक टुकड़ा फेंक दिया, अनाथालय प्रबंधन ने इस प्यारी बच्ची का नाम ‘लैला’ रखा ।

उन्ही दिनों हरेन और सू नाम का एक अमेरिकी दम्पति भारत घूमने आया था। उनके परिवार में पहले से ही एक लड़की थी, भारत आने का उनका मकसद एक लड़के को गोद लेना था। वे एक सुन्दर लड़के की तलाश में इस आश्रम में आए। उन्हें एक लड़का नहीं मिला, लेकिन सू की नज़र लैला पर पड़ी और लड़की की चमकीली भूरी आँखों और मासूम चेहरे को देखकर उनको उससे प्रेम हो गया।

कानूनी कार्रवाई पूर्ण करने के बाद, लड़की को गोद ले लिया गया, समय बीतने पर सू ने अपना नाम लैला से बदलकर लिजा (LISA) कर लिया, वे वापस अमेरिका चले गए, लेकिन कुछ वर्षों के बाद वे ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में स्थायी रूप से बस गए।

पिता ने बेटी को क्रिकेट खेलना सिखाया, घर के पार्क से शुरू होकर गली के लड़के के साथ खेलने तक का यह सफर चला। क्रिकेट के प्रति उनका जुनून अपार था, लेकिन उस लड़की ने अपनी पढ़ाई भी पूरी की। उसे एक अच्छा मौका मिला, उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और आगे बढ़ती चली गई। पहले वो बोलती थीं, फिर उनका बल्ला बोलने लगा और फिर रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड बनाती चली गई।

1997- न्यू-साउथ वेल्स द्वारा पहला मैच
2001- ऑस्ट्रेलिया का पहला ODI
2003- ऑस्ट्रेलिया द्वारा पहला टेस्ट
2005- ऑस्ट्रेलिया द्वारा पहला टी20

आठ टेस्ट मैच, 416 रन, 23 विकेट
125 वनडे, 2728 रन, 146 विकेट
54 टी-20, 769 रन, 60 विकेट

वनडे में 1000 रन और 100 विकेट लेने वाली पहली महिला क्रिकेटर

जब आईसीसी की रैंकिंग प्रणाली शुरू हुई तो वह दुनिया के नंबर एक ऑलराउंडर थी

उसने बतौर ऑस्ट्रेलिया कप्तान ODI और T-20 के चार विश्व कप में भाग लिया।

2013 में उनकी टीम ने क्रिकेट विश्व कप जीता, उसके अगले दिन इस खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।

इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने लीजा स्टालगर(LISA STHALEKAR) को अपने हॉल ऑफ फेम में शामिल किया है।

“जन्म देने के बाद लड़की को फेंकने वाले माता-पिता अंदर ही अंदर रो रहे होंगे क्योंकि वे अपनी पैदा हुई बेटी से भी नहीं मिल सकते”

इसलिए कहा जाता है कि हर इंसान अपनी किस्मत लेकर आता है, माता-पिता ने लड़की को एक अनाथालय में छोड़ दिया, लेकिन नियति उसे पहले सात समुंदर पार अमेरिका ले गई और फिर उसे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का कप्तान बना दिया और उसे दुनिया के महानतम क्रिकेटरों में से एक बना दिया।

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