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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2022 योग क्या है ? योग का इतिहास, 21 जून ही क्यों ? थीम,सामान्य दिशा निर्देश (International yoga day 2022 in Hindi)

 

योग शब्द संस्कृत के दो शब्दों ‘युज’और ‘युजीर'(Yu and Yujir) से बना है जिसका अर्थ है एक साथ या एक जुट होना।योग स्वस्थ जीवन की एक कला और विज्ञान है जो आध्यात्मिक अनुशासन तथा अत्यंत सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित है।योग आत्मा,मन और शरीर में एकात्मता स्थापित करने का कार्य करता है जिससे मानसिक तनाव से राहत,शारीरिक और मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने,सन्तुलन बनाए रखने ,सहनशक्ति में सुधार समेत अन्य कई तरह के लाभ मिलते है।योग का नियमित अभ्यास शरीर को रोगमुक्त बनाता है।योग का उद्देश्य सभी त्रिविध(वात, पित्त, कफ)प्रकार के दुःखो से आत्यन्तिक निवृत्ति प्राप्त करना जिससे प्रत्येक व्यक्ति जीवन में प्रशन्नता,स्वास्थ्य,पूर्ण स्वतंत्रता एवं सामंजस्य का अनुभव कर सके।

एक सूक्ति है:

“आंत हो गरम , सिर हो ठंडा
पेट हो नरम,तो मार वेध्य की डंडा”

योग का इतिहास(History of yoga in hindi):-

योग की उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले की है।वेदों के अनुसार भगवान शिव पहले योगी थे उन्होंने योग ज्ञान को सात ऋषियों(सप्तऋषियों) को हस्तांतरित किया।इन ऋषिगण ने योग के ज्ञान को एशिया,मध्य पूर्व अफ्रीका,दक्षिण अमेरिका तक पहुँचाया।सिन्धु सरस्वती सभ्यता से प्राप्त पशुपति मुहर,सिक्का जिसपर योगमुद्रा में विराजमान एक आकृति है जो प्राचीनकाल में योग की व्यापकता का द्योतक है।बृहदअरण्यक उपनिषद में योग के विभिन्न शारीरिक अभ्यास,छांदोग्य उपनिषद में प्रत्याहार(इंद्रियों का संयम ) तथा योगासन ,वेद मंत्र में प्राणायाम का उल्लेख है।सम्भवतः योग का वर्तमान स्वरूप कठोपनिषद में प्रथम उल्लेख प्राप्त है।
संवाद योग याज्ञवल्क्य में बाबा याज्ञवल्क्य और शिष्य ब्रह्मवादी गार्गी के बीच संवाद में श्वसन व्यायाम,आसन और ध्यान का वर्णन है।भगवत गीता,जयसंहिता(महाभारत) के शान्ति पर्व में योग का उल्लेख है।जैन मत की पांच प्रतिज्ञा और बौद्ध मत में भी योग के अंश विद्यमान है महर्षि पतंजलि को योग का जनक(Father of Yoga) माना जाता है जिनका अष्टांग योग का योगसूत्र योग के लिए आधार बना।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस(International yoga day 2022 in hindi):-
वैश्विक संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ के 69वें वार्षिक अधिवेशन में 27 सितम्बर 2014 को अपने सम्बोधन में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व के समक्ष योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि:

“योग भारत की प्राचीन परम्परा का अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है,मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है,विचार,संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है।यह व्यायाम के बारे में नही लेकिन अपने भीतर एकता की भावना,दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है।हमारी बदलती जीवनशैली में यह चेतना बनकर हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है तो आयें एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को गोद लेने की दिशा में काम करते हैं।”
भारत द्वारा प्रस्तावित मसौदे को 177 देशों द्वारा 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र संघ रेसोल्यूशन 69/131 पूर्ण बहुमत से पारित होने के बाद 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ घोषित किया गया।यह संयुक्त राष्ट्र संघ के इतिहास में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय में प्रस्तावित मसौदा है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को ही क्यों?(International yoga day on 21 June why?):-

योग दिवस के लिए कई तिथियां सुझाई गई थीं लेकिन 21 जून को ही योग दिवस तिथि के लिए कुछ लोगों द्वारा प्रश्नचिन्ह खड़ा किया गया। इन लोगों का मानना था कि नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक होने के कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी(1अप्रैल 1889 -21 जून 1940) की पूर्ण तिथि मनाने के लिए 21 जून की तिथि रखी गई है।एक शगुफ़ा भी प्रचारित किया गया जो कुछ इस तरह था:-

“योग दिवस मनाना तो सिर्फ एक बहाना है,
असल में हेडगेवार की पूर्णतिथि मनाना है”

लेकिन इसके विपरित एक कार्यक्रम में दिल्ली की एक छात्रा द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में 21 जून को ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के चुने जाने के पीछे कारण बताते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि “आज मैं पहली बार इसका खुलासा करता हूँ।सूर्य पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत है।यह दिन हमारे भूभाग में सबसे बड़ा दिन होता है।हमें उस दिन सबसे ज्यादा ऊर्जा मिलती है यही कारण है कि उस दिन का सुझाव दिया गया था।”

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम 2022 से 2015 (International yoga day theme 2022 to 2015):-

हर वर्ष योग दिवस की अलग-अलग थीम निर्धारित किया जाता है।अब तक हुए योग दिवस की थीम कुछ इस प्रकार है-

2022- मानवता के लिए योग(Yoga for humanity)
2021-योग के साथ रहें घर पर रहें(Be with yoga be at home)
2020-योगा फ़ॉर हेल्थ-योगा ऐट होम(Yoga for health-yoga at home)
2019-योग फॉर क्लाइमेट एक्शन(Climate action)
2018-शान्ति के लिए योग(Yoga for peace)
2017-स्वास्थ्य के लिए योग(Yoga for health)
2016-युवाओं को योग से जोड़े(Connect the youth)
2015-सद्भाव एवं शान्ति के लिए योग(Yoga for harmony and peace)

योग के सामान्य दिशा निर्देश(General guideline of yoga in hindi):-

योगाभ्यास के पूर्व
1-योगाभ्यास के लिए सबसे महत्वपूर्ण एवं पूर्व अपेक्षित क्रिया शौच है अर्थात शोधन।इसके अंतर्गत वातावरण, शरीर एवं मन की शुद्धि किया जाना अत्यावश्यक है।
2-योग शान्त वातावरण में शरीर तथा मन को शिथिल करके करना चाहिए।
3-योग खाली पेट या अल्पाहार लेकर करना चाहिए।अधिक कमजोरी महसूस होने पर गुनगुने पानी के साथ थोड़ा शहद लेकर करना चाहिए।
4-योग मैट,दरी या कम्बल पर करना चाहिए
5-योग के समय सूती के हल्के,ढीले आरामदायक वस्त्र पहनना चाहिए।
6-रोग, पीड़ा ,हृदय सम्बन्धी समस्या ,गर्भावस्था के समय चिकित्सक/योग विशेषज्ञ के परामर्श से ही योग करना चाहिए।

योगाभ्यास के समय:-
1-योग प्रार्थना या स्तुति से प्रारम्भ करना चाहिए(मत/पंथ/सम्प्रदाय अपनी मान्यता के अनुसार प्रार्थना या स्तुति कर सकते हैं) क्योंकि यह शान वातावरण निर्मित करने में सहायक है।
2-योग आरामदायक स्थिति में शरीर तथा श्वास-प्रश्वास की सजगता से धीरे-धीरे करना चाहिए।
3-श्वास-प्रश्वास नासिका से ही करना चाहिए(योग के अनुसार अन्य विधि से श्वास-प्रश्वास करना चाहिए
4-अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमता से ही योगाभ्यास करना चाहिए।
5-योग का समापन ध्यान,गहन मौन,संकल्प तथा शान्ति पाठ से करना चाहिए।

योगाभ्यास के बाद:-
1- योग करने के लगभग 25-30 मिनट बाद ही स्नान करना चाहिए
2-आहार योगाभ्यास के 20-30 मिनट बाद करना चाहिए।

निष्कर्ष(Conclusion):-
अंतः यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में प्रत्येक व्यक्ति और देश आधुनिक जीवन शैली से उपजी समस्याओं से ग्रसित है।व्यक्ति में तनाव,अवसाद(डिप्रेशन),मधुमेह,उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों लगभग हर व्यक्ति में बढ़ती जा रही हैं यही आगे चलकर गंभीर बीमारियों को जन्म देती हैं।व्यक्तियों का अधिकांश धन तथा देशों के GDP का एक बड़ा भाग स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करना पड़ रहा है। योग भारत के ऋषि-मनीषियों द्वारा दिया गया ऐसा उपहार है जो बिना खर्च के फिटनेस तथा वेलनेश की गारंटी देता है।योग हमारी मानसिक तथा शारिरीक दक्षता में वृद्धि करता है जिससे हम एक बेहतर इंसान बनते जाते है।व्यक्ति के अच्छा बन जाने पर समाज अच्छा बन जाता है जब समाज अच्छा बन जाता है तो राष्ट्र अच्छा बन जायेगा।तब सभी अच्छे राष्ट्र सौहार्द से परिपूर्ण विश्व का निर्माण करेंगे।

प्रदीप सिंह
(शोधार्थी एवं सामाजिक कार्यकर्ता)
अणु डाक-psingh.ddu@gmail.com
साभार:-
1-https://mea.gov.in
2-https://hi.m.wikipedia.org
3-https://hi.vikaspedia.in
4-https://www.mensxp.com
5-https://leveraged.com

 

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